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Swami Vivekananda Birthday Speech Essay in English , Hindi 2022

swami-vivekananda Speech 2021
Written by Chetan Darji

Swami Vivekananda Birthday Speech in English

Good morning to all teachers and students present here. I am here to deliver a speech on Swami Vivekananda. Swami Vivekananda was a renowned writer, scholar, thinker, saint, and philosopher of contemporary India. He was born on January 12, 1863, in the city of joy Calcutta. His original name was Narendranath Dutta. His father Vishwanath Dutta was a learned man who has profound knowledge of both English and Persian. He was a successful Lawyer in the supreme court of Calcutta. His mother was a pious lady who influenced him from his childhood. She played a major role in shaping his character. She first taught Naren English lessons and made him familiar with the Bengali alphabets.

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Young Naren studied in the Metropolitan Institution at Calcutta and after passing the examination. He graduated from an English college in Calcutta and passed his B.A. examination, and further visited to study law. But after his father’s death, his family’s financial position did not allow him to prosecute further study.

He was an excellent singer. One day Ramakrishna Paramahamsa happened to hear him singing a devotional song. He asked the young man to see him at the Kali temple. Naren was very keen to see God face to face. He asked many religious saints about his desire, but none could satisfy him.

Ramakrishna Paramahamsa said to Naren that as one can see him, he can also see god in the same form. However, Naren was not convinced by his words. He wanted the saint to demonstrate it to him. As time passed, Naren had that wonderful heavenly experience in his life. He became the most dedicated disciple of the saint. His Guru taught him the most important lesson of his life ie We can experience God by serving humanity.

Ramakrishna Mission

With his teaching, Naren later established the Ramakrishna Mission on 1st May 1897 which is also working at a present-day engaged in offering voluntary welfare work for the poor and the needy people. After becoming a monk Naren was named Swami Vivekananda. He visited America to participate in the parliament of world religions held in Chicago in 1893.

In his deep lecture, Swami Vivekananda explained to the world that God is the one big sea, and all religions are like rivers ultimately merging in the sea. According to him, there should not be any dispute among the preachers of various religions that they worship God in separate forms or with different beliefs.

His belief in the eternal truth of one God can avoid hatred among the people. Swamiji’s view was lauded with great appreciation. Many people became his disciples who later joined the Ramakrishna Mission.

Swami Vivekananda’s Teachings

Swamiji’s teachings have left a great impact on Indian socio-cultural traditions. He was a great follower of Vedanta. His teachings focus on the themes of Vedas and Upanishads. He believes them to be the great sources of energy, wisdom, and strength.

Man is the builder of his own density. So each human being with his own capacity can guide himself and at the same time can play a key role in the society. All healthy social changes are the result of the spiritual forces working within ourselves.

Education provides a better standard of life to society. If the social life of the country will improve then only the nation will flourish. So Swami Vivekananda in his teachings had attached great significance to the role of education in building society.

For him, every single soul is divine. The aim is to channelize this divinity within by controlling nature’s external and internal nature. The divine soul of Swami Vivekananda left this world on4th July 1902.

Thanks.

Swami Vivekananda Birthday Speech in Hindi 2022

स्वामी विवेकानंद की जयंती हर साल 12 जनवरी को मनाई जाती है। इस दिन को पूरे देश में राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे।

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन 1863 को कोलकाता (कलकत्ता) के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। बचपन में उनका नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील थे।

स्वामी विवेकानन्द ने अपने विचारों से ना सिर्फ भारत का नाम रौशन किया बल्कि दुनिया में भी देश का मान बढ़ाया था। अमेरिका के शिकागो शहर में दिया गया उनका ओजपूर्ण भाषण आज भी काफी लोकप्रिय है। सन 1893 में उन्होंने शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में दुनिया को हिंदुत्व और आध्यात्म का पाठ पढ़ाया था। यहां उन्होंने भारतीय संस्कृति और भारतीय ज्ञान से दुनिया को रुबरू करवाया था। 

स्‍वामी विवेकानंद ऐसे महापुरुष हैं जिनके विचार आज भी लोगों को प्रेरणा देते हैं। स्वामी विवेकानंद ने मानवता की सेवा और परोपकार के लिए 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इस मिशन का नाम विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर रखा था। 4 जुलाई 1902 को स्वामी विवेकानंद का निधन हो गया, लेकिन उनके विचार आज भी उन्हें लोगों के बीच जीवित रखे हुए हैं। 

swami vivekanand Photo

आइए जानते हैं स्वामी विवेकानंद के कुछ प्रेरक विचार

  • पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान। ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है।
  • दिन में कम से कम एक बार अपने आप से बात करें। अन्यथा आपने दुनिया के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति से होने वाली मुलाकात को छोड़ रहे हो।
  • जो लोग आपकी मदद करते हैं उन्हें कभी मत भूलो। जो आपको प्यार करते हैं उनसे कभी घृणा न करो। जो लोग तुम पर भरोसा करते हैं उन्हें कभी भी धोखा न दो।
  • जब तक तुम अपने आप पर भरोसा नहीं कर सकते तब तक तुम्हें ईश्वर पर भरोसा नहीं हो सकता।
  • उठो, जागो, और तब तक मत रुको जब तक तुम अपने लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर लेते।

शिकागो भाषण के कुछ अंश
स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण की शुरुआत प्रिय बहनो और भाइयो से की थी। इसके बाद उन्होंने कहा, ‘आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय अपार हर्ष से भर गया है। मैं आप सभी को दुनिया की सबसे पुरानी संत परंपरा की ओर से शुक्रिया करता हूं। मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं।’

उन्होंने कहा, ‘मेरा धन्यवाद उन लोगों को भी है जिन्होंने इस मंच का उपयोग करते हुए कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार भारत से फैला है।’ स्वामी विवेकानंद ने आगे बताया था कि उन्हें गर्व है कि वे एक ऐसे धर्म से हैं, जिसने दुनियाभर के लोगों को सहनशीलता और स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। 

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‘सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं’

शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन के अपने भाषण में विवेकानंद ने कहा था कि हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही केवल विश्वास नहीं रखते हैं। बल्कि हम दुनिया के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं। मैं गर्व करता हूं कि मैं एक ऐसे देश से हूं, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के परेशान और सताए गए लोगों को शरण दी है।

उन्होंने कहा कि यह बताते हुए मुझे गर्व हो रहा है कि हमने अपने हृदय में उन इजराइलियों की पवित्र स्मृतियां संजोकर रखी हैं, जिनके धर्म स्थलों को रोमन हमलावरों ने तोड़-तोड़कर खंडहर में तब्दील कर दिया था। इसके बाद उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली थी।

स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि सभी धर्मों के लोगों को शरण दी। मुझे इस बात का गर्व है कि मैं जिस धर्म से हूं, उसने महान पारसी धर्म के लोगों को शरण दी। इसके बाद अभी भी उन्हें पाल रहा है। इसके बाद विवेकानंद ने कुछ श्लोक की पंक्तियां भी सुनाई थीं।

रुचीनां वैचित्र्यादृजुकुटिलनानापथजुषाम्। नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव।। 

श्लोक का ये है मतलब: 

जैसे नदियां अलग अलग स्रोतों से निकलती हैं और आखिर में समुद्र में जाकर मिलती हैं। वैसे ही मनुष्य अपनी इच्छा के अनुरूप अलग-अलग रास्ते चुनता है।

उन्होंने कहा, ‘लंबे समय से कट्टरता, सांप्रदायिकता, हठधर्मिता आदि पृथ्वी को अपने शिकंजों में जकड़े हुए हैं। इन सभी ने धरती को हिंसा से भर दिया है। कई बार धरती खून से लाल हुई है। इसके अलावा काफी सभ्यताओं का विनाश हुआ है और न जाने कितने देश नष्ट हो गए हैं।

Swami Vivekananda Birthday Speech in Hindi 2

स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekanand) का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। बचपन में उनका नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। “स्वामी विवेकानंद” नाम उनको उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस ने दिया था। स्वामी विवेकानंद आध्यात्मिक गुरु तथा समाज सुधारक थे। स्वामी विवेकानंद ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने हिन्दू धर्म में काफी सुधार किये है। वे हमेशा से विद्द्यार्थीयों के लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं। चलिए इस लेख के माध्यम से हम स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचारों को जानते है।

स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार यहां पढ़े:

1. उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये।

2. कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है। अगर कोई पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं।

3. तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना हैं। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही हैं।

4. एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।

5. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।

6. “जब तक जीना, तब तक सीखना” – अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं।

7. हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं। विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।

8. शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं

9. कर्तव्य है कि हम हर किसी को उसका उच्चतम आदर्श जीवन जीने के संघर्ष में प्रोत्साहन करें, और साथ ही साथ उस आदर्श को सत्य के जितना निकट हो सके लाने का प्रयास करें।

10. बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप हैं।

11. हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा, और परमात्मा उसमे बसेंगे।

12. विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।

13. दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो।

14. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।

15. जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।

National Youth Day 2022: 12 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय युवा दिवस, जानें इसका महत्त्व व इतिहास

राष्ट्रीय युवा दिवस 2020 : राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी के दिन मनाया जाता है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 1984 में इसे राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इसे मानाने का मुख्य उद्देश्य भारत के महानतम समाज सुधारक, विचारक और दार्शनिक स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शों और विचारों को देश भर के भारतीय युवाओं को प्रोत्साहित किया जाना है और ताकि वो इन्हें अपने जीवन में शामिल कर सकें।

विवेकानंद जी के बारे में मुख्य बातें:

1. विवेकानंद जी का जन्म सन 1863 में एक कुलीन परिवार में हुआ था।

2. स्वामी विवेकानंद जी के बचपन का नाम नरेंद्र था। रामकृष्ण परमहंस के शिष्य बनने के बाद, स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ की स्थापना की।

3. स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन का मुख्य सहज भाषण, शिकागो में 11 सितंबर 1893 में आयोजित विश्व संसद में दिया था। 4 जुलाई 1902 को स्वामी विवेकानंद ने 39 साल की उम्र में अंतिम सांस ली।

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विवेकानंद फोटो

4. स्वामी विवेकानंद हमेशा हर व्यक्ति को सक्रिय जीवन के लाभों के साथ-साथ जानवरों, गरीबों और बीमार लोगों की देखभाल करने के लिए प्रेरित करते थे, उनका मानना था कि ऐसा करने से कोई भी भगवान की सेवा कर सकता है। स्वामी विवेकानंद चाहते थे कि लोग केवल किताबी ज्ञान तक ही सीमित न रहें, बल्कि सम्पूर्ण संसार का ज्ञान ग्रहण करें।

इस तरह से मनाते हैं राष्ट्रीय युवा दिवस:

इस दिन देश भर के स्कूलों और कॉलेजों में खास इंतजाम किया जाता है, वास्तव में यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर भारत में कई तरह की गतिविधियाँ आयोजित की जाती है। इस मौके पर स्कूल और कॉलेज में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन भी कराया जाता है। भाषण, पाठ, युवा सम्मेलन, प्रस्तुतियाँ, युवाओं के उत्सव, प्रतियोगिताएँ, संगोष्ठियों, खेल आयोजन, योग सत्र, संगीत प्रदर्शन आदि छात्रों से कराए जाते हैं।

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विवेकानंद जी की फोटो

राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day 2020) पर शिक्षक, छात्रों को स्वामी विवेकानंद जी के जीवन और आदर्शों के बारे में बताते हैं। बता दें रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ की विभिन्न इकाइयों में राष्ट्रीय युवा दिवस को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। देश के विभिन्न एनजीओएस (गैर-सरकारी संगठन) भी राष्ट्रीय युवा दिवस को एक त्यौहार की तरह ही मनाया जाता हैं।

Conclusion

My dear friends his name was written in golden letters in the history of India. He was a role model for not only the people of his country but to the whole world. We shall make efforts to inculcate his qualities and become a better person.

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About the author

Chetan Darji

Hi, My name is Chetan Darji , and I am the owner and Founder of this website. I am 24 years old, Gujarat-based (India) blogger.
I started this blog on 20th January 2019.

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