Dr. B. R. Ambedkar Essay Speech in Hindi
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का जीवन परिचय – Dr. B. R. Ambedkar Biography
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर 14 अप्रैल 2022 को हम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 130 जयंती मना रहे हैं। डॉक्टर अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश – इंदौर जिले के महू में 8 अप्रैल 1891 को हुआ था। आधुनिक भारत के निर्माण में उनके योगदान से बनाया गए संविधान ने सामाजिक बराबरी और समानता के लिए जो काम उन्होंने किए उनको दोहराया नहीं जा सकता है। आधुनिक भारत के इतिहास को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले लोगों में एक नाम भीमराव अंबेडकर का भी है। बाबा साहब के नाम से मशहूर भीमराव अंबेडकर देश के दलित और पिछड़े वर्ग को अधिकार दिलाने और देश में समता मूलक समाज स्थापन करने में इसके साथ ही कानूनी तौर पर लोगों को अधिकार दिलाने में जीवन भर संघर्ष करते रहे। अंबेडकर ने दलितों को यह यकीन दिलाया कि जिस जमीन पर वह रहते हैं। जिस आकाश के नीचे वह सांस लेते हैं वह जमीन और वह आकाश उनका भी है।
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का बचपन – Dr. B. R. Ambedkar’s Child Hood
डॉक्टर अंबेडकर रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई कि 14 की संतान थे। उनके पिताजी ईस्ट इंडिया कंपनी में सेना में कार्यरत थे। और वहां सूबेदार के पद तक वह पहुंचे थे। उनका बचपन बहुत ही परेशानी में गुजरा था। वे हिंदू समाज में महार जाती से संबंधित थे। उस समय महार जाती को अछूत कहां जाता था। इस वजह से उन्हें कठोर सामाजिक और आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा था। लेकिन इन परेशानियों के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और शिक्षा को ही अपना मुख्य सहारा बनाएं वह जीवन में आगे बढ़ते रहें। अपने परिवार के सबसे ज्यादा शिक्षित व्यक्ति थे। उन्होने शिक्षा के बारे में कहा शिक्षा वो शेरनी का दूध जो इसे पिएगा वो शेर की तरह दहाड़ेगा इसिलिय हमे अपने बच्चो को शिक्षित अवश्य करना चाहिए चाहे हमे कितने भी कष्ठ उठाने क्यू न पड़े |
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की शिक्षा – Dr. B. R. Ambedkar’s Education
डॉ आंबेडकर की प्राथमिक शिक्षा महाराष्ट्र की सातारा जिले के गवर्नमेंट स्कूल में हुई थी। और यहा से उन्होंने अंग्रेजी माध्यम से कक्षा 1 से 4 की पढ़ाई की। और इसी समय उनके जीवन में एक प्रेरणादायक घटना हुई। उन्होंने चौथी कक्षा पास करने के बाद उनके पारिवारिक मित्र और उनके गुरु केलुस्कर गुरुजी ने बुद्ध की जीवनी पढ़ने के लिए दी जिसने डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर के जीवन को पूरी तरीके से बदल दिया।
डॉ आंबेडकर का परिवार इसके बाद मुंबई में रहने के लिए गया। और यहां पर उन्होंने गवर्नमेंट हाई स्कूल एलीफिस्टैंड रोड बंबई में हाई स्कूल शिक्षा के लिए दाखिला लिया। 1907 में अंबेडकर ने मैट्रिक परीक्षा पास की इसके बाद उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और उस समय के किसी भी भारतीय विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले वह पहीले दलित छात्र थे। डॉ आंबेडकर की प्रतिभा को देखते हुए बड़ौदा के राजा सयाजीराव गायकवाड द्वारा उनको छात्रवृत्ति दी गई इसके अनुसार अमेरिका में पढ़ाई के लिए ₹25 का प्रति महीना वजीफा उनको दिया गया।
1912 में उन्होंने राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में अपनी डिग्री पूरी की। इसके बाद 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय अमेरिका से उन्होंने पीएचडी की डिग्री हासिल की। इसके बाद वह यहीं पर ना रुकते हुए उन्होंने लंदन जाने का निर्णय लिया। लंदन में उन्होंने डॉक्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की। इसी बीच 1920 में आयोजित एक सम्मेलन में शाहू महाराज ने डॉ आंबेडकर के बारे में एक बात कही दलितों तुम्हें अपना नेता मिल गया। इस बात से यह पता चलता है कि डॉ बाबासाहेब आंबेडकर उस समय आम लोगों में भी मशहूर होते जा रहे थे। उन्होने एक सभा में युवाओ के लिए ऐसा कहा की शिक्षित बनो संगठित हो जाओ ओर संघर्ष करो |
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर का राजनैतिक ओर सामाजिक विचार – Dr. B. R. Ambedkar’s Political & Social Thought
1926 में बंबई विधान परिषद के लिए उनको मनोनीत किया गया। इस घटना के बाद अंबेडकर का राजनीतिक और सामाजिक सफर शुरू हुआ। डॉ आंबेडकर ने सामाजिक बदलाव की प्रक्रिया में भाग लेना शुरू किया। 1927 में छुआछूत के खिलाफ आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया। और दलितों को सार्वजनिक पीने के पानी के लिए महाड़ में सत्याग्रह किया साथ ही कालाराम मंदिर नाशिक में मंदिर प्रवेश के लिए भी आंदोलन किया। इसी समय उन्होंने उस समय के भारतीय राजनेता और भारतीय राजनीतिक दलों की जाति व्यवस्था के उन्मूलन के प्रयत्नों के ऊपर कड़ी आलोचना की। 8 अगस्त 1930 को उन्होंने दलितों की एक शोषित वर्ग सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस समय उन्होंने कहा “हमें अपना रास्ता खुद बनाना होगा राजनीतिक शक्ति शोषित वर्ग की समस्याओं का निवारण नहीं कर सकती। उनका उद्धार समाज में उनका उचित स्थान पाने में ही निहित है।
24 सितंबर 1932 में उन्होंने महात्मा गांधी जी के साथ पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किया। इसके अनुसार विधानमंडल में दलितों के लिए सुरक्षित स्थानों में बढ़ोतरी की गई। इसके बाद समय के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को देखते हुए उनके विचारों में बदलाव होता गया। उन्होंने कहा उन्होंने कहा केवल मंदिर प्रवेश से हमारा उद्देश्य नहीं होना चाहिए मंदिर प्रवेश से दलितों और पिछड़ों का उद्धार नहीं होगा इसलिए उन्होंने आर्थिक प्रगति पर भी ध्यान देना शुरू किया।
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के समानता के बारे में विचार – Dr. B. R. Ambedkar’s Thought on Equality
डॉक्टर अंबेडकर आजीवन सांप्रदायिक राजनीति के घोर निशेधक रहे थे। डॉ आंबेडकर अपने जीवन में गौतम बुद्ध संत कबीर महात्मा फुले जैसे समाज सुधारको से प्रभावित थे उन्होंने हमेशा समतामूलक समाज धर्मनिरपेक्षता की बात की मनु के जातीय व्यवस्था के विचारों का विरोध किया और समानता की बात को सबके सामने रखा। उनके अस्तित्व के विचार इस तरीके से थे। पैसा और यश कमाना है हमारा अंतिम उद्देश्य नहीं होना चाहिए जैसे कि हम सोच को दायरे को बढ़ाते हैं वैसे ही हम लक्ष्य को प्राप्त करने में आगे बढ़ते हैं। हर व्यक्ति का जन्म किसी खास उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हुआ है जो कि हमें दूसरे व्यक्ति से अलग बनाता है इसलिए हर व्यक्ति को अपना उद्देश्य प्राप्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए। जिस तरह विचार नहीं मार सकते हैं उस तरीके से आत्मा भी नश्वर है। कोई भी व्यक्ति अमर नहीं है लेकिन हम हमारे पीछे हमारे विचार चिंतन और दर्शन छोड़ सकते हैं जो हमारे आने वाली पीढ़ी का मार्गदर्शन कर सकते हैं। उनका कहना था जीवन लंबा नहीं लेकिन महान होना चाहिए।
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की आधुनिक भारत के निर्माण मे भूमिका – Dr. B. R. Ambedkar’s Thought on Modern India
1947 में भारत के स्वतंत्रता के बाद डॉक्टर अंबेडकर के योगदान को देखते हुए उन्हें भारत का पहला कानून मंत्री बनाया गया था। वह एक महान समाज सुधारक राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे। उनके वजह से भारत जैसे विभिन्नता से भरे हुए समाज में लोकशाही व्यवस्था को ध्यान मे रखते हुए समतामूलक व्यवस्था के लिए वही एक योग्य व्यक्ति थे। इसी वजह से उन्हें 1947 में उन्हें मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया। भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। का लिखा हुआ शोधप्रबंध द प्रॉब्लम ऑफ रूपी पर ही रिजर्व बैंक की कार्यप्रणाली आधारित है। इसी के साथ स्वतंत्र भारत में दामोदर परियोजना हीराकुंड परियोजना सोन नदी जैसे परियोजना अन्य कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाओं में भी उनका महत्वपूर्ण स्थान रहा था। 1951 में उन्होंने हिंदू कोड बिल के विरोध में कैबिनेट से इस्तीफा दिया था। इसमें भारत के स्वतंत्रता के बाद सर्वप्रथम महिलाओं को समान अधिकारों की बात की गई थी।
1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली। इसके बाद 6 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु हुए। भारत सरकार ने 1990 में डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर को भारत रत्न देकर उनका सम्मान किया है।
जय भीम
भीम के विचारों की जय